मै किशन व्यास पंचमढ़ी के पास पिपरिया गाँव, होशंगाबाद, म०प्र० का हूँ, पिछले ३० वर्षो से शिक्षा और सामाजिक कार्यो से जुड़कर काम कर रहा हूँ. नाटक, कविता और कहानिया लिखना मेरा शौक रहा है. निशांत नाट्य मंच के साथ जुड़कर करीब २० नाटको का मंचन भी किया... पदयात्राए, जनजागरण, धरना-प्रदर्शन और आन्दोलन जिन्दगी के अहम् हिस्से रहे है.. वर्त्तमान में कानपूर में प्रवासी मजदूरों के बच्चों के साथ काम कर रहा हूँ...किशोर भारती, एकलव्य, जतन, आशा, जाग्रति, नर्मद बचाओ आन्दोलन आदि संस्थाओ और जनसंगठनो के करीब रहा.... चलना ही शायद जिन्दगी है...रास्ता है...पडाव है...और मंजिल भी.....
1 टिप्पणियाँ:
बहुत गजब की और सटीक रचना. शुभकामनाएं.
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