यादें

"यादें"

यादें आती है,
यादें जाती है...
बचपन की यादें,
गाँव की यादें...
स्कूल की यादें,
खेलों की यादें...
ज्ञान की यादें,
इतिहास की यादें...
लोगों की यादें,
मिलन की यादें...
यादें कहती है,
यादें बोलती है...
साथियों की यादे,
विचारों की यादें...
साहित्य के यादों,
अब ये यादें...
शब्दों में, सपने में,
आती है जाती है...
गुनगुनाती, हंसती,
बस यादें ही यादें....

किशन का व्यास...

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5 टिप्पणियाँ:

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi khub hai yaade aapaki.....jo bilkul meri yaade jaisi hai.......badhaaee

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

vaade.....bhool jate hain....yaaden .....yaad aati hain....!!

बेनामी ने कहा…

और यादों के भंवर में ही छोड़ जाती हैं यादें - बहुत सुंदर

बेनामी ने कहा…

भाई किशन का व्यास गजब है। पुराने दिनों के संस्मरण भी लिखो। तुम्हारे घर कितने नाटकों की रिहर्सल हुई है। कफन से लेकर जंगीराम की हवेली तक। कितनी बैठकें तो माहौल बनाने के लिए की जाती थीं। तुम्हारा घर लंबे समय रंगकर्मियों का अड्डा रहा। मैं सुमरनी में पुराने दिनों के बारे में लिख रहा हूं। सुमरनी देखते हो न?
नरेंद्र

narendramourya ने कहा…

भाई किशन का व्यास गजब है। पुराने दिनों के संस्मरण भी लिखो। तुम्हारे घर कितने नाटकों की रिहर्सल हुई है। कफन से लेकर जंगीराम की हवेली तक। कितनी बैठकें तो माहौल बनाने के लिए की जाती थीं। तुम्हारा घर लंबे समय रंगकर्मियों का अड्डा रहा। मैं सुमरनी में पुराने दिनों के बारे में लिख रहा हूं। सुमरनी देखते हो न?
नरेंद्र